दोस्तों हम सभी को पता है बदकिस्मती से हमें ऐसे दो पडोसी मिले जो अपने पडोसी देशों की मदद करने के बजाय, उन्ही पर हावी होने के सपने देखते है, एक को कश्मीर चाहिए तो दुसरे को लद्दाख, हालाकि लाख कोशिश करने बावजूद वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके, लेकिन वो रुकने का नाम भी तो नहीं ले रहे, दोनों देश अलग-अलग जगहों से भारत को घेरने में लगे, और आज इसे ही हम 2 फ्रंट की लढाई केह रहे है, वैसे तो चीन के बजाय अगर तुर्की भी पाकिस्तान का साथ देता, तो भी ये लढाई भारत के लिए इतनी मुश्किल नहीं थी, लेकिन चीन की एरियल पॉवर ज्यादा होने की वजेह से, कही ना कही भारत भी सोचने पे मजबूर है,
जैसा की आप सभी को पता है की हमारे पास अटैक ड्रोन्स और फाइटर जेट्स की करीब 10 स्क्वाड्रन की कमी है, अगर ये कमी समय रेहते दूर नहीं गयी, तो ये 2 फ्रंट की लढाई हमपर ही भारी पडेगी, हमारी एयरफोर्स इस बात को बखूबी जानती है इसीलिए तो एयर चीफ मार्शल RKS बधौरियाजी ने, एक ऐहेम प्रस्ताव मंत्रालय और प्राइम मिनिस्टर ऑफिस के सामने रखा, जी हा दोस्तों ये प्रस्ताव और दूसरा कोई नहीं, बल्कि राफेल F4 को लेकर है, बताते चले की अभी तक वायुसेना के पास 26 राफेल आ चुके है, जबकि बाकि बचे दस सीधे अगले साल आयेंगे, तेजस मार्क 1A भी 2023 से मिलने शुरू होंगे, और सुखोई के लिए कोई नयी आर्डर दी नहीं, तो ऐसे में सिर्फ लिमिटेड नंबर्स में फाइटर जेट्स लेके, वायुसेना आज देश की हवाई सुरक्षा कर रही है, जो की सचमे आश्चर्यजनक बात है.
चीन को देखा जाए तो वो हर साल १५ से ज्यादा एयरक्राफ्ट अपनी सेना में शामिल रहा है, और थोड़े बहोत हथियार पाकिस्तान को भी दे रहा है, इन दिनों तो तुर्की भी पाकिस्तान की मदद करता दिखाई दिया, इसीलिए वायुसेना का मानना है, की अगर और ३६ राफेल हमारी बेड़े में शामिल हुए, तो फाइटर जेट्स की ये कमी काफी हद तक दूर हो सकेगी, और फ़्रांस इन्हें कम समय में एयरफोर्स को डिलीवर भी कर सकता है, क्योकि राफेल फिलहाल वायुसेना के लिए बन ही रहे है, तो उनकी के तर्ज राफेल F4 को बनाया जायेगा, इसका फ्युजलेज तो वही रहेगा, चेंजेस सिर्फ इसके हार्डवेयर, सॉफ्टवेर, रेडार्स, कॉकपिट और विपन पैकेज में होंगे, जो की पेहली ही फ़्रांसीसी एयरफोर्स के लिए बनाये जा चुके है, मतलब जिन राफेल F3 विमानों की डिलीवरी 3 सालो में हुयी, वही राफेल F4 विमानों सालो में हो सकेगी.
हम सभी को पता है की राफेल F4 पेहले वाले राफेल के मुकाबले काफी एडवांस जेट रहेगा, जिसके आगे चीन का J20 भी कुछ नहीं, इसीलिए एयरफोर्स शुरवात से ये विमान चाहती रही, इस एक जेट की किमत 700 करोड से भी ऊपर है, मेहंगा है पर हवाई हमले में रशियन जेट्स भी इसके आगे भरेंगे, अब वायुसेना ने तो अपनी बात सरकार के समाने रखी दी है, जिसपर क्या फैसला लेना है वो मोदीजी तय करेंगे, फिर भी आप बताईये, क्या हमें राफेल F4 खरीदने चाहिए, या फिर २०३२ तक AMCA के लिए रुकना चाहिए.