दोस्तों एक और जहा पूरी दुनिया की नजरे अफगान क्राइसिस पर टिकी है, वही दूसरी तरफ चीन पाकिस्तान की नींदे उडाने वाली खबर रूस की तरफ से सुनने को मिली, रशिया के इस बयान से ना सिर्फ चीन चिंतित है बल्कि अमेरिकी प्रशासन भी परेशान है, क्योकि इस हथियार खरीद को रोकने के लिए अमेरिका ने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किये, लेकिन भारत की जिद के आगे वो कुछ ना कर सका, जी हा दोस्तों में उसी हथियार की बात कर रहा हु, जिसके डर से ट्रम्प प्रशासन से लेकर बायडेन प्रशासन तक भारत को प्रतिबन्ध की धमकिया दे चुके है, यानी की S400 ट्रायम्फ की जिसे नाटो देश SA-21 ग्रोवलर के नाम से भी जानते है, जी हा पुरे नाटो के लिए खतरा बन चूका ये हथियार बस तिन महिनों में भारतीय सेना के पास होगा, और जिसकी पुष्टि खुद S400 को बनाने वाली कंपनी यानी अल्माज-एंटे की
दरअसल इंडिया टाइम्स की और से ये ब्रेकिंग न्यूज़ बताई गयी की रूस के जिस S-400 मिसाइल सिस्टम का लोहा दुनिया पूरी मानती है, वो डिफेंस सिस्टम अब भारत को मिलने से सिर्फ 3 महीने की दुरी पर है, रूस की कंपनी अल्माज-एंटे का केहना है कि वह इस साल के नवंबर महीने से भारत को S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू कर देगी, उनके मुताबिक कोरोना के बावजूद S-400 का निर्माणकार्य अपने शेड्यूल के मुताबिक रहा और अब इसकी पेहली रेजिमेंट भारत को सप्लाई करने की लिए पूरी तरेह से तैयार, फिलहाल हम भारतीय सेना के जवानों को इसे चलाने की ट्रेनिंग दे रहे है, जिसमे से पेहला ग्रुप अपनी ट्रेनिंग पूरी कर भारत लौट भी चूका है, जबकि अब दुसरे ग्रुप को इसे चलाने का प्रशिक्षण दिया जायेगा,
व्याचेस्लाव जिनकी निगरानी में ये ट्रेनिंग भारतीय जवानों को दी जा रही है, उन्होंने अपने बयान में कहा, की हमने जितना सोचा था उसके काफी बेहतर प्रदर्शन भारतीय जवानों यहाँ करके दिखाया, S400 को चलाने के लिए काफी फुर्ती और सोच की जरुरत है, क्योकि ये काफी क्विक रिएक्शन मिसाइल सिस्टम है अगर यहाँ जरा सी भी गलती हुयी, तो आप करोडो रुपयों के इस मिसाइल सिस्टम को बर्बाद भी कर सकते है, वैसे देखाया जाये तो पुरे 40 हजार करोड में भारत ऐसे 5 सिस्टम खरीद रहा है, जबकि चीन ने ऐसे 6 S400 की डील की, फिर भी चीन भारत के S400 से खौफ खाता है, अब आप में से बहोत लोग ये सोच रहे होंगे की ये बात तो हम समझ सकते है, की S400 अमेरिकी F35 को मार गिराने की ताकत रखता है, इसीलिए अमेरिका ये भारत को खरीदने नहीं दे रहा, लेकिन चीन के पास तो पेहले से ही S400 है, तो फिर वो हमारे S400 से क्यों डरेगा, दोनों काम तो एक ही करते है
जी हा दोस्तों आपकी बात बिलकुल सही है, की चीन के पास भी वही S400 है जो की भारत को मिलने वाला है, लेकिन इसमें बड़ा बदलाव ये होगा की भारत को जो S400 मिलेगा उसमे लगे रेडार्स और मिसाइल्स चीन के S400 के मुकाबले लॉन्ग रेंज वाले रहेंगे, वो कैसे तो आपको बता दे, की चीन के पास भले ही वीटो पॉवर है लेकिन वो अभी तक ऐसे ग्रुप का हिस्सा नहीं बन पाया, जिस कारण वो किसी भी देश से 300km की रेंज वाली मिसाइल ना खरीद सकता है ना ही किसी को बेच सकता है, जी हा दोस्तों में बात कर रहा हु MTCR की चीन Missile Technology Control Regime का सदस्य नहीं इसीलिए नियम के मुताबिक रूस उसे 300km रेंज वाली मिसाइल नहीं दे सकता, यही कारन है की चीन अपने S400 में सिर्फ 250km की रेंज वाली ही मिसाइल फिट कर सकता है
जबकि भारत इस ग्रुप का सदस्य है, तो भारत के S400 में 400km की रेंज वाली मिसाइल्स भी लगाई जा सकेंगी जबकि इसके रेडार की रेंज 600km तक बताई जा रही है, तो एक तरेह से भारत का S400 चीन के मुकाबले अधिक दुरी तक मार करने वाला और एडवांस रेडार्स सिस्टम से लैस होगा, और जब ये LAC पर तैनात होंगे तो जीतनी दुरी चीनी S400 कवर नहीं कर पाएंगे उससे देड गुना की दुरी पर खड़े चीन के सभी फाइटर जेट्स भारतीय S400 के निशाने पे होंगे, तो हो सकता है आप समझ चुके होंगे, की आखिर चीन भारत के S400 से इतना डरा हुआ क्यों है, वैसे इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है
चीन को रौंदने वाला हथियार सिर्फ 3 महीने में भारत के पास | Indian Game Changer Weapon
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